क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर ने DRS से जुड़े एक ऐसे नियम पर सवाल उठाया है जो लंबे समय से विवादों में रहा है — ‘अंपायर का कॉल’। उनका मानना है कि इस नियम को हटाकर खेल को और पारदर्शी और समझने में आसान बनाया जा सकता है।
नियम
DRS में जब कोई टीम LBW के लिए अपील करती है और मामला थोड़ा क्लोज़ होता है, तो अगर गेंद सिर्फ 50% से कम हिस्से में स्टंप्स को हिट कर रही हो और अंपायर ने ‘नॉट आउट’ दिया हो, तो फैसला बदलता नहीं। इसे ही कहते हैं ‘अंपायर का कॉल’ — यानी तकनीक होने के बावजूद, फैसला अंत में इंसान पर छोड़ दिया जाता है।
सवाल
Reddit पर “Ask Me Anything” सेशन के दौरान जब सचिन से पूछा गया कि वो कौन सा क्रिकेट नियम बदलना चाहेंगे, तो उन्होंने बिना हिचक कहा, “DRS में अंपायर का कॉल हटाना चाहूंगा। जब खिलाड़ी DRS ले ही रहे हैं, तो फिर फैसला वापस अंपायर पर क्यों छोड़ा जाए?”
तर्क
सचिन ने कहा, “जैसे खिलाड़ियों की फॉर्म होती है, वैसे ही अंपायर्स की भी होती है। तकनीक थोड़ी गलत हो सकती है, लेकिन वो हर बार एक जैसी गलत होगी — यानी ‘consistent’ होगी। भरोसा तकनीक पर हो, ना कि अनुमान पर।”
तकनीक बनाम इंसान
यह बयान क्रिकेट में तकनीक और मानवीय त्रुटि के बीच जारी बहस को फिर से हवा देता है। तेंदुलकर का मानना है कि DRS का मकसद ही है सही और स्पष्ट निर्णय देना, और ‘अंपायर का कॉल’ उस मकसद को कमजोर करता है।
सरलता
सचिन चाहते हैं कि क्रिकेट में ऐसे नियम न हों जो दर्शकों को भ्रमित करें। उनका मानना है कि DRS का ये नियम न सिर्फ खिलाड़ियों को, बल्कि फैंस को भी समझ नहीं आता और इससे खेल की पारदर्शिता प्रभावित होती है।
दिग्गज का रिकॉर्ड
क्रिकेट में 34,357 अंतरराष्ट्रीय रन, 100 शतक और 664 मैच खेलने वाले सचिन तेंदुलकर सिर्फ रन मशीन नहीं, बल्कि क्रिकेट को समझने वाले गहरे विचारक भी हैं।
विचारशीलता
उनकी यह राय बताती है कि वो सिर्फ इतिहास रचने वाले खिलाड़ी नहीं थे, बल्कि आज भी वो चाहते हैं कि क्रिकेट और बेहतर, और आसान बनाया जाए — ताकि फैंस और खिलाड़ी दोनों को खेल का पूरा मज़ा मिले।