भारत और पाकिस्तान का एशिया कप मुकाबला हमेशा सुर्खियां बटोरता है, लेकिन इस बार हालात बेहद अलग हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत और उसके बाद हुई सैन्य कार्रवाई ने पूरे माहौल को बदल दिया है। ऐसे में रविवार को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में होने वाला मैच सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसमें राजनीतिक और भावनात्मक रंग भी जुड़ गया है।
खिलाड़ी
भारतीय खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ खुद को असहज स्थिति में पा रहे हैं। बीसीसीआई सरकार की नीतियों से निर्देशित होता है, और खेल मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज़ पर रोक है। हालांकि मल्टी-नेशन टूर्नामेंट में खेलने से इनकार करना संभव नहीं, क्योंकि इससे भारी दंड और मेज़बानी अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
जनता
भारत में इस मैच को लेकर गुस्सा और असंतोष साफ देखा जा सकता है। सहायक कोच रयान टेन डोएशाटे ने माना कि खिलाड़ी भी जनता की भावनाओं से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन मैदान पर पेशेवर रवैया अपनाना ज़रूरी है।
गंभीर
टीम इंडिया के मुख्य कोच गौतम गंभीर पहले ही कह चुके हैं कि जब तक आतंकवाद बंद नहीं होता, पाकिस्तान से किसी तरह का संबंध नहीं होना चाहिए। हालांकि अब उनकी प्राथमिकता खिलाड़ियों को केवल क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कराना है। डोएशाटे ने बताया कि गंभीर ने टीम से कहा है कि जिन चीज़ों पर हमारा नियंत्रण नहीं, उन पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है।
दबाव
भारत-पाकिस्तान मुकाबले हमेशा ही दबाव से भरे होते हैं, लेकिन इस बार यह दबाव कहीं ज्यादा है। जीत को राष्ट्रीय गर्व से जोड़ा जा रहा है और खिलाड़ियों की हर हरकत पर नज़र रखी जाएगी।
मैदान
हालात चाहे कितने भी जटिल हों, एक बार जब खिलाड़ी मैदान पर उतरेंगे तो उनका लक्ष्य सिर्फ जीत होगा। भारत पाकिस्तान के खिलाफ अपना टी20 रिकॉर्ड 11-3 तक बढ़ाना चाहेगा। अगर ऐसा नहीं भी हो पाता, तो यह उनकी मेहनत या समर्पण की कमी की वजह से नहीं होगा।