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सुनील गावस्कर बोले – “क्रिकेट ने एक अनोखा किरदार खो दिया”, डिकी बर्ड को दी भावुक श्रद्धांजलि

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Sunil Gavaskar

क्रिकेट जगत इन दिनों गहरे शोक में डूबा है। 92 साल की उम्र में मशहूर अंपायर डिकी बर्ड का निधन हो गया। जैसे ही यह खबर सामने आई, दुनिया भर से श्रद्धांजलियों का सिलसिला शुरू हो गया। भारत के महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने भी डिकी को याद करते हुए एक भावुक संदेश दिया और कहा, “क्रिकेट ने एक अनोखा किरदार खो दिया है।”

करियर

डिकी बर्ड का अंपायरिंग करियर 1973 से 1996 तक चला। उन्होंने 66 टेस्ट, 69 वनडे और 3 वर्ल्ड कप फाइनल में अंपायरिंग की। मैदान पर उनकी पहचान सिर्फ फैसलों से नहीं, बल्कि उनके ईमानदार और ह्यूमन अप्रोच के लिए थी। खिलाड़ियों के साथ उनका तालमेल और विनम्र व्यवहार उन्हें बाकी अंपायर्स से अलग बनाता था।

गावस्कर की भावनाएं

सुनील गावस्कर ने PTI को दिए बयान में कहा, “डिकी खुद भी एक फर्स्ट क्लास क्रिकेटर थे, इसलिए वो खिलाड़ियों के मानसिक दबाव को अच्छे से समझते थे। जब उनका कोई फैसला खिलाड़ियों के खिलाफ जाता, तब भी वे उनकी भावनाओं को समझते थे।”

बातचीत का अंदाज

गावस्कर ने ये भी बताया, “खिलाड़ियों को डिकी इसलिए पसंद आते थे क्योंकि वो सिर्फ अंपायर नहीं, इंसान भी थे। वो ओवरों के बीच या कभी-कभी गेंदों के बीच भी बातचीत के लिए तैयार रहते थे। क्रिकेट ने एक बेहद अनोखा और प्यारा इंसान खो दिया है।”

बर्ड की नज़र में गावस्कर

खास बात ये है कि डिकी बर्ड भी सुनील गावस्कर को बेहद पसंद करते थे। 2014 में उन्होंने कहा था, “मैंने दुनिया के बेस्ट बैट्समैन देखे हैं, लेकिन गावस्कर की तकनीक सबसे शानदार थी — चाहे तेज गेंदबाजी हो या स्पिन।”

दूसरों की श्रद्धांजलि

ECB ने भी एक भावनात्मक बयान दिया: “पूरा ईसीबी डिकी बर्ड के निधन से बेहद दुखी है। एक गर्वित यॉर्कशायरमैन और लोकप्रिय अंपायर, उन्हें बेहद याद किया जाएगा।”

दिनेश कार्तिक ने लिखा: “RIP डिकी बर्ड। निष्पक्षता, ईमानदारी और हास्य का प्रतीक। आप सच्चे लीजेंड थे।”

पूर्व इंग्लिश विकेटकीपर जैक रसेल बोले: “डिकी बर्ड। अद्वितीय। एकमात्र। सर्वश्रेष्ठ। अलविदा मेरे दोस्त।”

क्रिकेट से रिश्ता

डिकी बर्ड मैदान पर सिर्फ एक रेफरी नहीं थे। वे खिलाड़ियों की मुस्कान, भावनाओं और दबाव को समझने वाले एक इंसान थे। उनके फैसले हमेशा नियमों के साथ-साथ इंसानियत से भी भरे होते थे। ऐसा संतुलन आज बहुत कम देखने को मिलता है।

लेखन और लोकप्रियता

उनकी आत्मकथा “Dickie Bird: My Autobiography” क्रिकेट की सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताबों में शामिल रही। इससे पता चलता है कि उनकी पर्सनैलिटी कितनी प्रभावशाली थी — सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं।

यादें

आज जब क्रिकेट में हाई-टेक कैमरे, DRS और AI ने अंपायरिंग को robotic बना दिया है, तब डिकी बर्ड जैसे अंपायरों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। उन्होंने नियमों से आगे जाकर क्रिकेट को दिल से जिया।

FAQs

डिकी बर्ड ने कितने टेस्ट अंपायर किए?

उन्होंने 66 टेस्ट मैचों में अंपायरिंग की।

डिकी बर्ड ने कितने वर्ल्ड कप फाइनल देखे?

उन्होंने 3 वर्ल्ड कप फाइनल्स में अंपायरिंग की।

सुनील गावस्कर ने क्या कहा?

गावस्कर ने उन्हें ‘अनोखा किरदार’ बताया।

डिकी बर्ड की किताब का नाम क्या है?

उनकी किताब का नाम ‘Dickie Bird: My Autobiography’ है।

डिकी बर्ड को क्रिकेटर किस बात के लिए याद करते हैं?

उनकी ईमानदारी, संवेदनशीलता और संवाद शैली के लिए।

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