भारत के नए ऑल-फॉर्मेट कप्तान शुभमन गिल ने पहली बार स्वीकार किया है कि लगातार क्रिकेट खेलने से मानसिक थकान महसूस होती है। उन्होंने साफ कहा कि तीनों फॉर्मेट में खेलना और कप्तानी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता।
खुली स्वीकारोक्ति
गिल ने कहा, “मैं ज्यादातर वक्त फिट महसूस करता हूं, लेकिन कभी-कभी मानसिक थकान हो जाती है। लगातार खेलते हुए खुद से उम्मीदें बढ़ जाती हैं और उन्हें पूरा करना चुनौती बन जाता है।”
मेंटल बैलेंस का खेल
उन्होंने बताया कि हर फॉर्मेट का अपना दबाव होता है। “टेस्ट में पांच दिन ध्यान बनाए रखना होता है, जबकि टी20 में शुरुआत से अटैक करना पड़ता है। तीनों फॉर्मेट में खुद को एडजस्ट करना मानसिक चुनौती है,” गिल ने कहा।
कप्तान-कोच की नई जोड़ी
गिल और गौतम गंभीर की जोड़ी पर अब सबकी निगाहें हैं। गंभीर अपने ‘नो-नॉनसेंस’ रवैये और स्ट्रेटफॉरवर्ड फैसलों के लिए जाने जाते हैं। गिल ने बताया कि दोनों के बीच बातचीत बहुत सीधी और स्पष्ट रहती है।
टीम बनाने की सोच
गिल बोले, “हम चाहते हैं कि खिलाड़ियों को सुरक्षा का एहसास हो। हमारा फोकस 15-18 खिलाड़ियों का मजबूत कोर ग्रुप बनाने पर है। सिलेक्शन उसी पूल से होता रहेगा।”
उन्होंने बताया कि कोच और सेलेक्टर्स तेज़ गेंदबाजों की बड़ी पूल तैयार करने पर भी काम कर रहे हैं।
रोहित-कोहली पर गिल का बयान
हाल में रोहित शर्मा और विराट कोहली के भविष्य पर उठे सवालों के बीच गिल ने माहौल साफ किया। “रोहित भाई और विराट भाई जैसा अनुभव और स्किल बहुत कम खिलाड़ियों के पास है। मैं रोहित भाई से टीम में पॉज़िटिव माहौल बनाना सीखना चाहता हूं,” उन्होंने कहा।
बढ़ती जिम्मेदारी
रोहित और कोहली के टेस्ट और टी20 से रिटायरमेंट के बाद गिल पर दबाव बढ़ गया है। वो फिलहाल टी20 में उपकप्तान हैं और अब वनडे टीम की कमान भी संभाल चुके हैं। बीसीसीआई की योजना है कि एक ही खिलाड़ी तीनों फॉर्मेट में टीम लीड करे।
वर्कलोड का बढ़ता बोझ
भारत के क्रिकेट कैलेंडर में अब सालभर मैच चलते हैं — घरेलू सीरीज़, ICC टूर्नामेंट, आईपीएल और एशिया कप। ऐसे में एक कप्तान के लिए वर्कलोड और मानसिक तनाव दोनों बहुत ज्यादा हो जाते हैं।
सिस्टम में सुधार की ज़रूरत
गिल का थकान वाला बयान इस बात की तरफ इशारा है कि भारत को अपने वर्कलोड मैनेजमेंट सिस्टम को और मजबूत करना होगा, ताकि खिलाड़ी लगातार प्रदर्शन कर सकें और फिट रहें।
गिल का ईमानदार दृष्टिकोण
शुभमन गिल का यह बयान दिखाता है कि वह कप्तानी की जिम्मेदारी को गंभीरता से समझते हैं। वो न सिर्फ दबाव को स्वीकार कर रहे हैं, बल्कि उसे एक मौके की तरह देख रहे हैं। रोहित और विराट की विरासत को आगे बढ़ाना आसान नहीं, लेकिन गिल की सोच से टीम इंडिया के भविष्य की झलक साफ दिखती है।