एमएस धोनी और इरफान पठान के नाम इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं। वजह है इरफान पठान का एक पुराना इंटरव्यू, जो हाल ही में सोशल मीडिया पर दोबारा वायरल हुआ। उसमें इरफान ने इशारों-इशारों में दावा किया कि कुछ खिलाड़ी सिर्फ इसलिए टीम में आते थे क्योंकि वो धोनी के कमरे में हुक्का बनाते थे।
इरफान का दावा
इरफान ने कहा कि 2008 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ के दौरान मीडिया में ये रिपोर्ट आई थी कि धोनी ने उनके बारे में नकारात्मक बातें कीं। उन्होंने धोनी से सीधे पूछा तो उन्होंने साफ मना किया। इसके बाद उन्होंने जो लाइन कही, वही इस विवाद का कारण बनी – “जो लोग धोनी के कमरे में हुक्का बनाते थे, वही टीम में चुने जाते थे।”
आकाश का जवाब
अब इस बयान पर रिएक्ट करते हुए आकाश चोपड़ा ने अपने यूट्यूब वीडियो में खुलकर बात की और इरफान के आरोपों को “बिलकुल बेसलेस” बताया। उन्होंने साफ कहा कि एक कप्तान हमेशा वही खिलाड़ी चुनता है जो टीम को जीत दिला सके, न कि वो जो कमरे में बैठकर बातें करे।
चयन का असली कारण
आकाश के मुताबिक, अगर कोई खिलाड़ी कप्तान के साथ ज़्यादा खेला है, उसे मुश्किल समय में परखा गया है, तो ज़ाहिर है कप्तान का भरोसा उसी पर ज़्यादा होगा। उन्होंने कहा, “ये पक्षपात नहीं होता, ये अनुभव और भरोसे की बात होती है।”
हुक्का नहीं, परफॉर्मेंस
आकाश ने बड़ी साफ़ बात कही – “कौन किसके कमरे में बैठता है, कौन हुक्का बनाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्रिकेट का चयन सिर्फ और सिर्फ प्रदर्शन पर होता है। कप्तान का काम टीम जीताना होता है, कोई सोशल ग्रुप बनाना नहीं।”
दोनों तरफ की बहस
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ चुकी है। कुछ लोग इरफान पठान के सपोर्ट में हैं, तो कुछ को लगता है कि ये अब “गिला-शिकवा” बन चुका है। खासकर तब, जब बात MS धोनी जैसी शख्सियत की हो, जिन्होंने भारत को कई ICC ट्रॉफी जिताई हैं।
सेलेक्शन की पारदर्शिता
आकाश चोपड़ा ने ये भी माना कि सेलेक्शन को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन किसी भी कप्तान के इरादों पर शक करना इतना आसान नहीं होता। खासतौर पर तब, जब वो कप्तान देश को वर्ल्ड कप जिता चुका हो।
बड़ी तस्वीर
इस विवाद से एक बात तो जरूर निकलती है – खिलाड़ियों के करियर में बहुत कुछ अंदर ही अंदर चलता है, जो बाहर नहीं आता। लेकिन जब भी ऐसे बयान सामने आते हैं, तो ज़रूरी है कि उन्हें संदर्भ में समझा जाए, न कि सिर्फ सुर्खियों में लपेटा जाए।
क्या इरफान पठान का ये बयान सही समय पर आया? या फिर ये सिर्फ एक पुराने दर्द को ज़ाहिर करने की कोशिश थी? और क्या आकाश चोपड़ा जैसे एक्सपर्ट्स की बातों से ये मामला शांत हो पाएगा? जवाब वक्त ही देगा, लेकिन इतना तय है कि ये विवाद फिलहाल थमने वाला नहीं।