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चेतेश्वर पुजारा – T20 के शोर में टेस्ट क्रिकेट की शांत आत्मा

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Cheteshwar Pujara

चेतेश्वर पुजारा ना विराट की तरह ग्लैमरस ड्राइव मारते थे, ना पंत जैसी आग उगलती बल्लेबाज़ी करते थे और ना ही रोहित जैसे दर्शकों को उठने पर मजबूर कर देने वाले शॉट्स खेलते थे। लेकिन 2013 से 2023 तक, 100 से ज्यादा टेस्ट में उन्होंने भारत की बल्लेबाज़ी को वो स्थिरता दी जो हर टीम चाहती है — बिना शोर-शराबे के।

पहचान

उनकी असली ताकत ना स्ट्राइक रेट में थी, ना छक्कों की संख्या में। उनकी पहचान थी — सब्र, साइलेंस और स्टील जैसी हिम्मत। वो बल्लेबाज़ जो आउट होने से ज़्यादा गेंदों को खेलने का जुनून रखता था।

नींव

अगर विराट टेस्ट बैटिंग की खूबसूरती थे, तो पुजारा उसकी बुनियाद। जब टीम चारों ओर से टूटती दिखती, तो वो अकेले एक दीवार की तरह टिके रहते। वो उस वक्त के आखिरी निशान थे जब टेस्ट को एक कला समझा जाता था, ना कि टी20 की तरह प्रदर्शन।

परवरिश

राजकोट में जन्में पुजारा को क्रिकेट का बीज उनके पिता अरविंद पुजारा ने दिया, जो खुद फर्स्ट-क्लास खिलाड़ी थे। मां रिना का सपोर्ट शांत लेकिन गहरा था। लेकिन 17 की उम्र में मां को खो देना, उनके जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा बनी।

मौन

पुजारा ना कैमरे के सामने एक्सप्रेस करते, ना सोशल मीडिया पर कहानियां बनाते। एक सधी हुई डिफेंस, एक क्लासिक कट, और जरूरत पड़ने पर एक सीधा ड्राइव — यही थी उनकी स्टाइल। सादगी उनकी बैटिंग में भी दिखती थी और ज़िंदगी में भी।

पार्टनर

उनकी पत्नी पूजा ने अपनी किताब में लिखा, “वो अगर एक स्माइल से बात खत्म कर सकते हैं, तो बोलते ही नहीं।” यही बात शायद पुजारा को भीड़ से अलग बनाती है — दिखावे से दूर, मगर असरदार।

गाबा

2021 का गाबा टेस्ट। टीम इंडिया जीत की तलाश में थी। पंत ने मैच खत्म किया, लेकिन पुजारा ने 11 बाउंसर झेलकर, 211 गेंदों की 56 रन की पारी से टीम को वहां तक पहुंचाया जहां जीत दिखने लगी। वो जख्मी होते रहे, लेकिन डटे रहे।

मील के पत्थर

7000 से ज़्यादा टेस्ट रन। 19 शतक। 2018-19 की सीरीज़ में 1258 गेंदों पर 521 रन। जब ऑस्ट्रेलियाई पेसर्स खुद उन्हें आउट करने की जगह गेंदबाज़ी से थकने लगे थे। और ये तब था जब उनके पिता हार्ट सर्जरी से जूझ रहे थे।

सादगी

ना ब्रांड एंडोर्समेंट्स, ना चौंकाने वाले जश्न, ना ऑनलाइन स्लेजिंग। बस एक बैट और तमाम मुश्किल हालात में टिके रहने का जज़्बा। पुजारा हमेशा ‘अनकूल’ माने गए, लेकिन सबसे जरूरी भी।

विरासत

टी20 और सोशल मीडिया की तेज़ दुनिया में पुजारा उस शांत लहर की तरह थे जिसने टेस्ट क्रिकेट को उसकी रफ्तार में चलने दिया। उन्होंने कभी लाइमलाइट नहीं मांगी, लेकिन जब टीम को एक भरोसेमंद दीवार चाहिए थी, वो हमेशा मौजूद रहे।

FAQs

चेतेश्वर पुजारा ने कितने टेस्ट खेले?

उन्होंने 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेले हैं।

गाबा टेस्ट में पुजारा की क्या भूमिका थी?

उन्होंने 211 गेंदों पर 56 रन बनाकर टीम को थामा।

पुजारा का बैटिंग स्टाइल क्या था?

कॉपीबुक टेक्निक पर आधारित संयमित स्टाइल।

क्या पुजारा IPL में खेले हैं?

हां, लेकिन उनकी पहचान टेस्ट क्रिकेट रही।

पुजारा की सबसे यादगार सीरीज़ कौन सी थी?

2018-19 ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ में उन्होंने 521 रन बनाए।

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