क्रिकेट में करप्शन अब पुराने तरीके तक सीमित नहीं रहा। आज के समय में खिलाड़ी या उनके आसपास के लोग ऐसे लोगों के संपर्क में आ सकते हैं जो मैच फिक्सिंग या गलत गतिविधियों में शामिल होते हैं। इसी खतरे से निपटने के लिए ICC की एंटी-करप्शन यूनिट यानी ACU के पास एक ज़रूरी हथियार है — अलर्ट नोटिस।
जागरूकता का टूल
ये नोटिस सिर्फ खिलाड़ियों को अलर्ट करने के लिए नहीं, बल्कि क्रिकेट कम्युनिटी में जागरूकता फैलाने के लिए भी इस्तेमाल होता है। इसका मकसद साफ है — खतरे को पहले ही पहचान लो, ताकि बड़ा नुकसान ना हो।
क्या होता है नोटिस
अलर्ट नोटिस एक तरह से सावधानी का सिग्नल है, जो ACU समय-समय पर खिलाड़ियों, कोचों और सपोर्ट स्टाफ को भेजता है। इसका मकसद होता है उन्हें उन संदिग्ध लोगों या तरीकों के बारे में बताना जो करप्शन की कोशिश कर सकते हैं।
नोटिस के मकसद
इस नोटिस के ज़रिए तीन मुख्य चीजें हासिल की जाती हैं — करप्ट लोगों के प्लान में रुकावट डालना, खिलाड़ियों को खतरे के बारे में सिखाना, और उन्हें हर संदिग्ध हरकत को पहचानने लायक बनाना।
कैसे पहुंचता है नोटिस
ICC ये नोटिस सभी क्रिकेट देशों को भेजता है। फिर वहां के Anti-Corruption मैनेजर, घरेलू यूनिट्स और रीजनल टीमें इसे खिलाड़ियों तक पहुंचाती हैं। यही नहीं, हर देश को ये सलाह दी जाती है कि वो अपनी लोकल स्थितियों के हिसाब से खुद भी ऐसे नोटिस तैयार करें।
सतर्कता का नेटवर्क
इस पूरी प्रक्रिया से एक मजबूत नेटवर्क बनता है जिसमें हर खिलाड़ी या स्टाफ ये जानता है कि किस तरह के कॉन्टैक्ट से बचना है और किसे तुरंत रिपोर्ट करना है।
असल उदाहरण
अलर्ट नोटिस आमतौर पर किसी एक संदिग्ध शख्स से जुड़ा होता है। जैसे कोई अनजान इंसान सोशल मीडिया पर दोस्ती करने की कोशिश करे, या मैच के बाद कैज़ुअली मिलने का बहाना बनाए, या फिर ऐसी सलाह दे जो सुनने में आम लगे लेकिन मकसद कुछ और हो।
मूल मकसद
ऐसे नोटिस का असली फोकस किसी एक खिलाड़ी को नहीं, बल्कि पूरे क्रिकेट जगत को सतर्क करना होता है कि कोई भी अजनबी या अजीब व्यवहार दिखे, तो उसे हल्के में ना लें।
ज़रूरी क्यों है
अक्सर करप्शन एक बड़े ऑफर से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे मेल-जोल से शुरू होता है। किसी ने दो बार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी, किसी ने नंबर मांगा — यहीं से खेल शुरू होता है।
ICC की सोच
ICC का नजरिया साफ है — रोकथाम इलाज से बेहतर है। अगर खिलाड़ी पहले से तैयार रहेंगे, तो फिक्सिंग जैसी घटनाओं को होने से रोका जा सकता है।
फायदे क्या हैं
अलर्ट नोटिस से खिलाड़ियों को पहले से जानकारी मिलती है। वो खुद को ऐसे लोगों से बचा सकते हैं और अपने करियर की सुरक्षा कर सकते हैं। साथ ही, बोर्ड और ICC मिलकर एक ऐसा नेटवर्क बना पाते हैं जो हर लेवल पर अलर्ट हो।
लोकल बोर्ड की जिम्मेदारी
हर देश के क्रिकेट बोर्ड को ये जिम्मेदारी दी गई है कि वो अपने लोकल अनुभव के आधार पर अपने अलर्ट नोटिस बनाएं। इससे लोकल खिलाड़ियों को ऐसी जानकारी मिलती है जो इंटरनेशनल नोटिस में नहीं होती।
लोकल ट्रेंड्स
जैसे किसी खास इलाके से बार-बार संदिग्ध कॉल्स आना, या लोकल टूर्नामेंट्स में फिक्सिंग जैसी हरकतें दिखना। या फिर सोशल मीडिया या मैसेजिंग ऐप्स के ज़रिए संदिग्ध संपर्क की कोशिश।
संदेश साफ है
करप्शन अब सिर्फ इंटरनेशनल लेवल की चीज़ नहीं रही। आज कोई भी इंसान, कभी भी किसी खिलाड़ी से डिजिटल तरीकों से जुड़ सकता है। ऐसे में खिलाड़ियों को टेक्निकली ही नहीं, दिमागी तौर पर भी अलर्ट रहना होगा।
नोटिस का असर
ICC यही चाहता है कि अलर्ट नोटिस सिर्फ एक चिट्ठी ना हो, बल्कि ऐसा टूल बने जो खिलाड़ियों को सोचने, समझने और सचेत रहने की क्षमता दे। ताकि करप्शन सिर्फ पकड़ा ही न जाए, बल्कि शुरू ही ना हो पाए।
FAQs
अलर्ट नोटिस क्या होता है?
यह ICC द्वारा जारी चेतावनी होती है जो संभावित भ्रष्ट संपर्कों से सतर्क करती है।
ICC अलर्ट नोटिस किसे भेजता है?
सभी सदस्य देशों के बोर्ड, एंटी करप्शन यूनिट्स और खिलाड़ियों को।
क्या घरेलू बोर्ड भी अलर्ट जारी कर सकते हैं?
हां, उन्हें अपने लोकल अनुभवों के आधार पर नोटिस जारी करने की सलाह दी जाती है।
भ्रष्ट संपर्क होने पर क्या करें?
तुरंत ACU या संबंधित अधिकारी को रिपोर्ट करें।
अलर्ट नोटिस का मुख्य उद्देश्य क्या है?
भ्रष्टाचार से पहले ही खिलाड़ियों को सावधान करना।









