सोशल मीडिया पर इन दिनों दो पुराने वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं और दोनों ही MS धोनी और इरफान पठान से जुड़े हैं। एक वीडियो में इरफान पठान ने भारतीय टीम में ‘हुक्का कल्चर’ पर सवाल उठाए थे, तो वहीं दूसरे वीडियो में वो धोनी के साथ अपनी गहरी दोस्ती का ज़िक्र करते दिख रहे हैं। दोनों वीडियो में जो विरोधाभास है, उसी ने इस पूरे मामले को और दिलचस्प बना दिया है।
पुराना रिश्ता
इरफान पठान ने पिछले साल ज़ी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि धोनी, रैना और रॉबिन उथप्पा के साथ उनकी दोस्ती कितनी मजबूत थी। उन्होंने कहा, “ये तीनों मेरे बिना खाना नहीं खाते थे, और मैं इनके बिना नहीं खाता था।” इससे साफ होता है कि एक समय ऐसा भी था जब इन खिलाड़ियों के बीच जबरदस्त यारी हुआ करती थी, और ड्रेसिंग रूम का माहौल भी बेहद पॉजिटिव रहता था।
विवादित बयान
लेकिन इसी दोस्ती की तस्वीर का दूसरा पहलू तब सामने आया जब इरफान का एक पुराना इंटरव्यू दोबारा वायरल हुआ। 2020 में स्पोर्ट्स तक से बातचीत में उन्होंने बताया था कि कैसे वो टीम इंडिया से बाहर हो गए थे, और उन्होंने खुद धोनी से इस मुद्दे पर बात की थी। उसी इंटरव्यू में इरफान ने एक अहम लाइन कही थी: “मैं हुक्का पीने वालों में नहीं था। मेरा फोकस सिर्फ क्रिकेट पर था।”
गुटबाजी का इशारा
इस बयान को कई लोगों ने टीम इंडिया में उस वक्त चल रही गुटबाजी की ओर इशारा माना। उन्होंने यह नहीं कहा कि धोनी ज़िम्मेदार थे, लेकिन यह ज़रूर बताया कि ड्रेसिंग रूम में कुछ खिलाड़ियों को प्राथमिकता मिलती थी, जो ‘ग्रुप’ का हिस्सा थे। वहीं, जो खिलाड़ी उस दायरे से बाहर थे, उन्हें भले ही प्रदर्शन अच्छा हो, लेकिन टीम में मौका नहीं मिल पाता था।
करियर की गिरावट
इरफान पठान का इंटरनेशनल करियर 2012 में खत्म हो गया। उन्होंने अपना आखिरी वनडे मैच धोनी की कप्तानी में खेला, जिसमें उन्होंने 5 विकेट भी लिए थे। लेकिन इसके बाद उन्हें कभी वापसी का मौका नहीं मिला। कई फैंस और क्रिकेट एक्सपर्ट्स को आज भी लगता है कि इरफान को जल्द ही बाहर कर दिया गया, जबकि उनकी उम्र भी कम थी और फॉर्म भी ठीक था।
बचपन की दोस्ती
बावजूद इसके, इरफान का यह भी मानना है कि उनका और धोनी का रिश्ता शुरू से ही अच्छा था। दोनों ने इंडिया ए, फिर सीनियर टीम और IPL में साथ समय बिताया। यही वजह है कि एक ओर जहां वो धोनी के साथ बिताए पलों को याद करते हैं, वहीं दूसरी ओर जब बात करियर की होती है, तो उनका दर्द भी बाहर आता है।
सोशल मीडिया प्रभाव
आज के दौर में सोशल मीडिया हर पुराने वीडियो या बयान को फिर से सामने लाने का ज़रिया बन गया है। जब इरफान के ये दोनों वीडियो साथ में वायरल हुए, तो फैंस के बीच बहस भी शुरू हो गई। कोई इरफान को सपोर्ट कर रहा है, तो कोई धोनी की साइड ले रहा है। कुछ लोग इसे गलतफहमी का नतीजा मानते हैं, तो कुछ इसे ‘सेलेक्शन पॉलिटिक्स’ से जोड़ रहे हैं।
विरोधाभास
दोनों वीडियो को अगर साथ में देखा जाए, तो एक दिलचस्प विरोधाभास नजर आता है। एक ओर इरफान कह रहे हैं कि धोनी के बिना खाना नहीं खाते थे, और दूसरी ओर वो कह रहे हैं कि हुक्का पीने वालों को तरजीह दी जाती थी। ये दिखाता है कि वक्त और हालात के साथ रिश्तों में दूरी और बदलाव आ सकते हैं—चाहे शुरुआत कितनी भी अच्छी क्यों न हो।
फैन रिएक्शन
फैंस भी इस मुद्दे को लेकर बंटे हुए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इरफान पठान ने जो कुछ कहा, वो आज की युवा पीढ़ी को टीम के अंदर की सच्चाई बताने के लिए जरूरी था। वहीं कुछ फैंस को लगता है कि ये सब बातें अब कहने का कोई मतलब नहीं, क्योंकि सब बीते ज़माने की बात हो चुकी है।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो साफ है—क्रिकेट सिर्फ मैदान पर नहीं, ड्रेसिंग रूम में भी खेला जाता है। दोस्ती, राजनीति, ग्रुप्स और सेलेक्शन—all play a part. इरफान और धोनी की ये कहानी भी यही दिखाती है कि एक खिलाड़ी के करियर को सिर्फ उसके प्रदर्शन से नहीं, बल्कि उसके रिश्तों से भी आंका जाता है।