ऑस्ट्रेलिया के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ मिशेल स्टार्क ने टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। अब वे पूरी तरह टेस्ट और वनडे फॉर्मेट पर फोकस करेंगे। यह कदम 35 वर्षीय स्टार्क ने फिटनेस बनाए रखने और अपने करियर को लंबा करने के उद्देश्य से उठाया है।
यादगार टी20 करियर
स्टार्क ने 2012 में टी20I डेब्यू किया था और अब तक 65 मैचों में 79 विकेट चटकाए। 7.74 की इकोनॉमी और 23.81 की औसत के साथ वह ऑस्ट्रेलिया के सबसे प्रभावशाली टी20 गेंदबाज़ों में शामिल रहे।
- टी20I मैच: 65
- विकेट: 79
- इकोनॉमी: 7.74
- औसत: 23.81
उनसे ज्यादा विकेट ऑस्ट्रेलिया के लिए सिर्फ लेग-स्पिनर एडम ज़म्पा के नाम हैं।
स्टार्क का बयान
संन्यास की घोषणा करते हुए स्टार्क ने कहा:
“टेस्ट क्रिकेट हमेशा मेरी प्राथमिकता रही है। मैंने हर टी20 मैच का भरपूर आनंद लिया, खासकर 2021 टी20 विश्व कप का, लेकिन अब वक़्त है कि मैं खुद को वनडे और टेस्ट के लिए बचा कर रखूं – खासकर 2027 विश्व कप और भारत दौरे को देखते हुए।”
चयनकर्ताओं की प्रतिक्रिया
ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख चयनकर्ता जॉर्ज बेली ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा:
“मिच का योगदान टी20 क्रिकेट में उल्लेखनीय रहा है। उनकी गेंदबाज़ी मैच का रुख पलट देती थी। 2021 विश्व कप जीत में वह एक लीडिंग पेसर थे।”
करियर हाइलाइट्स
- डेब्यू: 2012
- मुख्य योगदान: 2021 में ऑस्ट्रेलिया की पहली टी20 विश्व कप जीत
- अनुपस्थित टूर्नामेंट: 2016 टी20 विश्व कप (चोट के कारण)
नई चुनौतियाँ और संभावनाएं
स्टार्क अब भारत का आगामी टेस्ट दौरा, एशेज 2026-27, और 2027 वनडे विश्व कप को लक्ष्य मानकर तैयारी करेंगे। टी20 से हटकर वे अब इन लंबे फॉर्मेट्स में खुद को तरोताज़ा और प्रभावशाली बनाए रखने का प्रयास करेंगे।
न्यूज़ीलैंड सीरीज़
स्टार्क की अनुपस्थिति में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ तीन टी20 मैचों के लिए एक संतुलित 14 सदस्यीय स्क्वॉड घोषित किया है। कप्तान मिचेल मार्श होंगे और तेज़ गेंदबाज़ी की कमान हेज़लवुड, एबट और बार्टलेट जैसे खिलाड़ियों के हाथ में होगी।
ऑस्ट्रेलिया T20I स्क्वॉड बनाम न्यूज़ीलैंड:
- मिचेल मार्श (कप्तान)
- ट्रैविस हेड
- मैथ्यू शॉर्ट
- जोश इंग्लिस
- मिचेल ओवेन
- मार्कस स्टोइनिस
- ग्लेन मैक्सवेल
- टिम डेविड
- सीन एबट
- बेन ड्वार्शुइस
- ज़ेवियर बार्टलेट
- एडम ज़म्पा
- जोश हेज़लवुड
- मैट कूनमैन
मिशेल स्टार्क का टी20I से संन्यास एक युग का अंत है, लेकिन टेस्ट और वनडे में उनका अनुभव और क्लास ऑस्ट्रेलिया के लिए बहुमूल्य रहेगा। वे अब आने वाली बड़ी सीरीज़ और टूर्नामेंटों में खुद को पूरी तरह झोंकना चाहते हैं, ताकि टीम को मजबूती दे सकें।
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