भारत के भरोसेमंद टेस्ट बल्लेबाज़ चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को सभी फॉर्मेट्स से संन्यास की घोषणा कर दी। 15 साल के लंबे करियर का अंत करते हुए उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहा। इस खबर के बाद फैंस और साथी खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक संदेशों की बाढ़ ला दी।
श्रद्धांजलि
जसप्रीत बुमराह ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “क्रिकेट तुम्हें मिस करेगा पुज्जी भाई। तुम्हारे अगले अध्याय के लिए शुभकामनाएं।” वहीं केएल राहुल ने पुजारा को टेस्ट क्रिकेट का प्रतीक बताते हुए लिखा, “एक युग का अंत – धैर्य, दृढ़ता और क्लास का प्रतीक। रिटायरमेंट की ढेरों शुभकामनाएं पुज्जी।”
करियर
पुजारा ने अक्टूबर 2010 में टेस्ट डेब्यू किया था। जब पूरी दुनिया T20 और ODI की तरफ भाग रही थी, तब पुजारा टेस्ट क्रिकेट की नींव संभाले खड़े थे। उनका डिफेंस, साइलेंस और क्लास उन्हें सबसे अलग बनाता था।
आंकड़े
103 टेस्ट मैचों में पुजारा ने 7,195 रन बनाए। इनमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। वो नंबर 3 पोजीशन पर भारत के लिए द्रविड़ के बाद सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ रहे।
हाइलाइट
2018-19 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पुजारा के करियर का टर्निंग पॉइंट थी। उन्होंने 1,258 गेंदें खेलीं और 521 रन बनाए। भारत ने वो सीरीज़ 2-1 से जीतकर ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज़ अपने नाम की — और पुजारा उसकी रीढ़ की हड्डी थे।
बयान
पुजारा ने कहा कि यह फैसला अचानक नहीं था। “मैं पिछले कुछ समय से इस पर विचार कर रहा था। टीम में अब युवा खिलाड़ियों को मौका मिल रहा है, और मुझे लगा कि आगे बढ़ने का यही सही समय है।”
समझदारी
उन्होंने कहा, “ऐसे फैसले लेने से पहले मैंने परिवार और सीनियर खिलाड़ियों से सलाह ली। और फिर तय किया कि अब आगे का रास्ता चुनना ज़रूरी है।”
युगांत
पुजारा सिर्फ रन बनाने वाले नहीं थे, वो टेस्ट क्रिकेट की आत्मा थे। ना दिखावा, ना विवाद, ना शोर — बस बैट से बात और टीम के लिए खुद को झोंक देने वाला जज़्बा। उनके संन्यास के साथ भारतीय क्रिकेट के एक शांत, सधे हुए युग का भी अंत हो गया है।