भारतीय टेस्ट क्रिकेट के दो मजबूत स्तंभ – चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली – अब इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। पुजारा के रिटायरमेंट के बाद विराट ने एक बेहद भावुक संदेश साझा किया, जिसने क्रिकेट फैंस को पुरानी यादों में डुबो दिया।
साझेदारी की कहानी
विराट और पुजारा की जोड़ी ने टेस्ट क्रिकेट में करीब एक दशक तक मिडिल ऑर्डर को संभाला। दोनों ने साथ मिलकर 83 पारियों में 3,513 रन जोड़े, जिसमें 7 शतक और 18 फिफ्टी प्लस पार्टनरशिप शामिल थीं। उनकी औसत साझेदारी 43.37 रही – जो किसी भी टेस्ट मिडिल ऑर्डर की मजबूत नींव होती है।
कोहली का मैसेज
विराट ने इंस्टाग्राम पर पुजारा को टैग करते हुए लिखा,
“पुज्जी, नंबर 4 पर मेरा काम आसान बनाने के लिए धन्यवाद। तुम्हारा करियर शानदार रहा। आगे के सफर के लिए शुभकामनाएं। भगवान तुम्हारा भला करे।”
पुजारा की प्रतिक्रिया
पुजारा ने कोहली के इस पोस्ट को दिल से सराहा और लिखा,
“मैदान पर और बाहर बिताए गए लम्हे हमेशा याद रखूंगा। तुम्हारे शब्दों के लिए शुक्रिया।”
टेस्ट करियर
पुजारा ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था और 103 टेस्ट में 7,195 रन बनाए। उनका औसत 43.60 रहा, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। खास बात ये रही कि उन्होंने मुश्किल विदेशी दौरों में भारत को कई बार उबारा।
ऑस्ट्रेलिया में जलवा
2018-19 की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ में पुजारा ने 521 रन बनाए और भारत की जीत के हीरो बने। 2020-21 की सीरीज़ में भी उन्होंने 271 रन बनाए और कई बार टीम को दबाव से बाहर निकाला।
फर्स्ट क्लास किंग
टेस्ट के अलावा पुजारा का प्रथम श्रेणी करियर भी बेहद शानदार रहा। उन्होंने 278 मैचों में 21,301 रन बनाए, औसत 51.82 रहा और 66 शतक भी लगाए। उनका बेस्ट स्कोर 352 रन रहा – जो बताता है कि वो लंबी पारी खेलने के मास्टर थे।
एक ठहराव का प्रतीक
जब पूरी दुनिया तेज़ बल्लेबाज़ी की ओर भाग रही थी, तब पुजारा जैसे खिलाड़ी ने तकनीक, धैर्य और क्लास से बल्लेबाज़ी की मिसाल कायम की। वो अक्सर उस वक्त टीम के लिए दीवार बनकर खड़े हुए जब चारों तरफ विकेट गिर रहे होते थे।
कोहली के दौर में योगदान
कोहली की कप्तानी में पुजारा का रोल बेहद अहम रहा, खासकर विदेशी टूर पर। वो हमेशा उस खिलाड़ी के रूप में सामने आए जिस पर कप्तान आंख बंद कर भरोसा कर सकता था।
आखिरी टेस्ट
पुजारा का आखिरी टेस्ट 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल था। वो भले ही इस मैच के बाद टीम से बाहर हो गए, लेकिन उनके योगदान की अहमियत हमेशा बनी रहेगी।
एक विरासत जो जिंदा रहेगी
चेतेश्वर पुजारा अब भले ही मैदान पर नजर न आएं, लेकिन उनके जैसे बल्लेबाज़ की कमी हमेशा महसूस की जाएगी। संयम, क्लास और टीम के लिए खड़े रहने की उनकी जो शैली थी, वो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर रहेगी।