भारतीय क्रिकेट के फिटनेस आइकॉन विराट कोहली को एक नई पहचान मिली है—इस बार भारत के पूर्व मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन ने उन्हें भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों के बराबर ठहराया है। यह तुलना सामान्य नहीं, बल्कि खेलों की फिटनेस डिमांड के आधार पर की गई है।
क्रिकेट बनाम हॉकी फिटनेस
भारत टुडे को दिए इंटरव्यू में पैडी अप्टन ने कहा:
“अगर भारतीय क्रिकेट टीम को हॉकी टीम के साथ सिर्फ आधा ट्रेनिंग सेशन भी करना पड़े, तो शायद पूरी टीम ज़मीन पर गिर जाएगी।”
“सिर्फ एक खिलाड़ी होगा जो टिक पाएगा—विराट कोहली।”
कारण
- रोजाना हाई-इंटेंसिटी ट्रेनिंग
- सख्त डाइट: नो शुगर, नो जंक
- स्ट्रेंथ, कार्डियो और कोर वर्कआउट
- Yo-Yo टेस्ट में टॉप स्कोर
- मैदान पर फुर्ती, 36 की उम्र में भी स्प्रिंटर जैसी गति
खेल अंतर
पहलू | हॉकी | क्रिकेट |
---|---|---|
रनिंग | 60+ मिनट निरंतर | सीमित, ब्रेक्स के साथ |
स्टैमिना | अत्यधिक | मध्यम |
ट्रेंनिंग | HIIT, कॉर्डिनेशन | स्प्रिंट + टेक्निकल |
शरीर का इस्तेमाल | फुल-बॉडी | आंशिक-मल्टी स्किल |
अप्टन का कहना है कि हॉकी खिलाड़ी लगातार झुकते, दौड़ते और टकराते हैं—इसलिए उनकी ट्रेनिंग बहुत ज़्यादा डिमांडिंग होती है।
नजरिया
- भारत की 2011 वर्ल्ड कप टीम के मेंटल कोच
- साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के साथ अनुभव
- IPL में कोचिंग और माइंड ट्रेनिंग एक्सपर्ट
- खिलाड़ियों की मानसिक और शारीरिक बैलेंस पर पकड़
उन्होंने कहा कि विराट की सबसे बड़ी ताकत है उनका माइंडसेट—“वो सिर्फ बॉडी नहीं, माइंड से भी खुद को फिट रखते हैं।”
निष्कर्ष
जहां बाकी खिलाड़ी मैच के बाद थककर बैठ जाते हैं, वहीं विराट कोहली अगली सुबह फिर से जिम में नज़र आते हैं। पैडी अप्टन की ये टिप्पणी सिर्फ एक फिटनेस कॉम्प्लिमेंट नहीं, बल्कि विराट की प्रोफेशनल अप्रोच का सर्टिफिकेट है।