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राहुल द्रविड़ ने अपने साथी विरेंदर सहवाग की तारीफ करते हुए कही ये बड़ी बात

भारत के पूर्व बल्लेबाज और वर्तमान में हेड कोच राहुल द्रविड़ ने अपनी मेंटल एनर्जी ऊर्जा के मैनेजमेंट के बारे में बात की जिससे उन्हें लंबे समय तक भारत को रिप्रेजेंट करने में मदद मिली है।

अनुभवी बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने 1996 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। राहुल के इंटरनेशनल करियर की बात की जाए तो उन्होंने 344 मैच खेले है और 39.17 के औसत से 10889 रन बनाये है।

इस दौरान उनके बल्ले से 12 शतक और 83 अर्धशतक देखने को मिले है। वहीं उनके टेस्ट करियर की बात की जाए तो उन्होंने भारत को 164 मैच में रिप्रेजेंट करते हुए 52.31 के औसत की मदद से 13288 रन बनाये है।

टेस्ट में राहुल ने 36 शतक, 5 दोहरे शतक और 63 अर्धशतक लगाए है। इसके अलावा उन्होंने भारत के लिए एक टी20 इंटरनेशनल मैच खेला है और 31 रन बनाये है।

भारतीय हेड कोच ने इस बारे में खुल कर बात की है कि जब वह खेल नहीं रहे था तब वह कितनी एनर्जी खर्च करते थे और गेम से हटने से उन्हें मेंटली मदद मिली।

मैं वीरेंद्र सहवाग जैसा कभी नहीं बन सकता- राहुल द्रविड़

एक पॉडकास्ट में भारत के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा से बात करते हुए, द्रविड़ ने कहा, “अगर मैं अपने करियर पर पीछे मुड़कर देखता हूं, तो तो मेरी मेंटल एनर्जी मेरे लिए गेमचेंजर साबित हुई और इसी कारण मेरा करियर इतना लंबा चल पाया।

इसके अलावा साथ ही मेरे प्रदर्शन में भी सुधार देखने को मिला था। जब मैं खेल नहीं रहा था, अपने गेम के बारे में सोच रहा था, शायद उस पर चिंतन करने में लगा हुआ था और तब भी मैं बहुत सारी एनर्जी खर्च करता था।

समय के साथ मैंने यह सीखा कि यह वास्तव में मेरे गेम में मदद नहीं कर रहा था या मुझे बेहतर खेलने में मदद नहीं कर रहा था। मुझे तरोताजा होने की जरूरत थी और लगभग क्रिकेट के बाहर एक जीवन तलाश करने की जरूरत थी।”

उन्होंने कहा, “मैं अभी भी हमेशा वीरू (वीरेंद्र सहवाग) की तरह नहीं बनने वाला था क्योंकि उनकी पर्सनालिटी ऐसी थी कि वो मैदान के बाहर आकर खुद को रिलैक्स कर लेते थे।

मैं कभी उस लेवल तक नहीं पहुंचने वाला था। हालांकि मैंने खतरों को पहचान लिया था। मुझे पता चल गया था कि मुझे बिना वजह से चिंतित हो जाने से बाहर निकलने की जरूरत हैं।

इसके लिए आपको उतना ही मेंटली मजबूत होना पड़ेगा जितना एथलीट के लिए जिम और प्रैक्टिस सेशन। आपने सब किया हो लेकिन मेंटली खुद को स्विच ऑफ करने में फेल रहते है तो आपके पास गेम खेलने के लिए पर्याप्त एनर्जी नहीं रहेगी।

वहीं जब मैं एक बार इस चीज को जान गया और मैंने फिर कोशिशें करना शुरू कर दिया। इस वजह से मुझे ऑफ द फील्ड काफी मदद मिली।”

वर्तमान में, द्रविड़ वनडे सीरीज के लिए वेस्टइंडीज के खिलाफ भारतीय टीम के साथ हैं। भारतीय टीम ने पहले ही 50 ओवरों की सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली।

वहीं सीरीज का आखिरी मैच 27 जुलाई (बुधवार) को खेला जाएगा और उनका इरादा आखिरी मैच को जीतकर क्लीन स्वीप करने का होगा। वनडे सीरीज के बाद भारतीय टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 मैचों की टी20 इंटरनेशनल सीरीज भी खेलेगी।